नदियाँ बोलती हैं, मुझे रोको नहीं, मुझे टोको नहीं।
यूँ ही अठखेलियाँ करने दो, कुछ रंगरेलियाँ करने दो।
मुझे रोक के तुझे क्या मिलेगा...
चन्द पैसे, चन्द सुविधायें।
वो तो मैं वैसे भी देती हूँ,
तेरे दामन को हरदम भरती हूँ।
मुझे रोक के अपना घर रौशन मत करो,
मेरे और भी अपने हैं, उसके संताप से डरो।
चाहे कितना भी प्रयास कर लो तुम,
मुझको ना रोक पाओगे।
प्रलय एक दिन आएगा,
फिर तुम पछताओगे।
मुझे इस संसार को पोषण करने दो,
मैं मात्र नदी नहीं, माँ भी हूँ। मुझे बहने दो, मुझे बहने दो ।।
टिप्पणी - हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में समुद्र तल से 1600 मीटर की ऊंचाई पर तीर्थन नदी के बगल में बसी है तीर्थन घाटी जो अपनी रहस्यमयी खूबसूरती के लिए भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मशहूर है। सौभाग्य से तीर्थन नदी पर कोई बांध नहीं है।