व्यर्थ पदार्थ
वाहित मल
औधोगिक अपशिष्ट
कीटनाशी पदार्थ
उवर्शकों के रासायनिक तत्व
पट्रोलियम पदार्थ
जिनसे जन जीवन की रक्षा
होती है वे ही आज मृत्यु का कारण बन बैठा
देता टाइफायड, पीलिया हैजा
पेचिश, पेट के कीड़े, मलेरिया
सब बीमारियों को न्यौता
गोमती का विषाक्त जल हो या
गंगा हो यमुना
कहीं मर रही है मछलियाँ
कहीं औधोगिक अपशिष्ट के वजह से
दूषित हो गई हैं सब्जियां
क्या अनाज और क्या फल हैं शुद्ध
अति दूषित
मनुष्य जीवन ख़तरे में
हर घड़ी बढ़ रहा है
जल में लैड प्लास्टिक के छोटे-कण
इस तरह शामिल हैं
नहीं हो पा रहा है किसी भी मशीन से जल शुद्ध
अब तो सोचो !
क्या विकास किया हमने
क्या पाया
क्या खोया हमने ?
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कवयित्री परिचयः
डाॅ.आशासिंह सिकरवार जन्म: 1/5/
जन्मस्थान : अहमदाबाद (गुजरात)
मूल निवासी: जालौन ,उरई ( उत्तर-प्रदेश )
शिक्षा :एम.ए.एम.फिल. (हिन्दी साहित्य)
:पीएच.डी
(गुजरात यूनिवर्सिटी )
प्रकाशित तीन आलोचनात्मक पुस्तकें :
:1.समकालीन कविता
के परिप्रेक्ष्य में चंद्रकांत
देवताले की कविताएँ (जवाहर प्रकाशन )
(2017)
2.उदयप्रकाश की
:कविता (2017)(जवाहर प्रकाशन )
:3.बारिश में भीगते
बच्चे एवं आग कुछ
नहीं बोलती (2017)(,जवाहर प्रकाशन )
गुजरात के वरिष्ठ साहित्यकार-रघुवीर चौधरीजी का
उपन्यास, " विजय बाहुबली " का हिन्दी अनुवाद शीघ्र
प्रकाशित
कविता संग्रह शीघ्र प्रकाशित, "उस औरत के बारे में "
अन्य लेखन -
कविता, कहानी, लघुकथा
समीक्षा लेख शोध- पत्र, पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, आकाश वाणी से रचनाएँ प्रसारित ।
काव्य संकलन -
झरना निर्झर देवसुधा,गंगोत्री, मन की आवाज, गंगाजल, कवलनयन, कुंदनकलश, अनुसंधान, त्रिवेणी, कौशल्या, शुभप्रभात, कलमधारा, प्रथम कावेरी ,अलकनंदा, साँसों की सरगम इत्यादि काव्य संकलनों में कविताएँ शामिल ।
विभिन्न राष्ट्रीय मंचों से पुरूस्कृत एवं सम्मानित।